Sunday 27 November 2016

हम देश बदलेगे | इस बार हमने हे ठानी , करेगे अपनी मनमानी

"हम देश बदलेगे"

इस बार हमने हे ठानी , करेगे अपनी मनमानी | हम देश बदलेगे

कभी लाइन मे ना खडकर जुगाड़ बाज़ी हे चलानी,
जहाँ धक्का-मूकी से काम ना बने हथेली गर्म हे करवानी | हम देश बदलेगे

मेट्रो मे देख बूढ़े और महिलाओं को सीट पे बेठे ,
हमने आँख हे जुखानी हमे सरम नहीं आनी |  हम देश बदलेगे



यूँ तो हम हे ज्ञानी , नारी सकती सबको सिखानी,
लेकिन देख अकेली लड़की को आँख हे दिखानी | हम देश बदलेगे

हम तो करेगे अपनी मनमानी गंदगी बीच सड़क हे फेलानी ,
स्वच्छ भारत के हम सेनानी , बात सब लोगो को हे बतानी | हम देश बदलेगे

इस बार हमने हे ठानी , करेगे अपनी मनमानी | हम देश बदलेगे

"मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है"

Change start at your own.

Wrriten By :- Sajan Kaundal @ all rights reserved.




  


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